नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने ₹250 से सस्ते भाव वाले स्टॉक्स में जरूरी बदलाव करने का घोषणा कि है, की NSE ने कैपिटल मार्केट सेगमेंट (सीएम खंड) में प्राइस-लिंक्ड टिक साइज को शुरू कर दिया है. टिक साइज किसी भी स्टॉक के बिड प्राइस और ऑफर प्राइस में होने वाले न्यूनतम अंतर को कहा जाता है. इसे लेकर एक सर्कुलर जारी करते हुए NSE ने यह भी कहा कि स्टॉक फ्यूचर्स में भी टिक साइज अब सीएम सेगमेंट के बराबर ही होगी.
अगर टिक साइज को आसान भाषा में समझें तो एक बार में किसी शेयर की कीमत कम से कम जितनी घट या बढ़ सकती है, उसे टिक साइज कहा जाता है.इसको कुछ इस तरह समझिए…मान लीजिए शेयर की कीमत 100 रुपये है और उसका टिक साइज 5 पैसे है, तो इसका मतलब हुआ कि उसकी कीमत कम से कम 5 पैसे ही बढ़ेगी या फिर कम होगी.कीमत अगर 100 रुपये भी बढती है तो भी शेयर का हर एक टिक 5 पैसे का ही होगा. एक बार में शेयर का दाम 100.05 या 100.10 या घटकर 99.95 होगा.नए नियम के बाद अगर कोई शेयर 100 रुपये का होगा तो उसका टिक साइज एक पैसे कर दिया जाएगा. इस नियम के बाद शेयर का भाव 100.01 या 100.10 या घटकर 99.99 कुछ ही हो सकता है.
नए नियम के बाद अगर कोई शेयर 100 रुपये का होगा तो उसका टिक साइज एक पैसे कर दिया जाएगा. इस नियम के बाद शेयर का भाव 100.01 या 100.10 या घटकर 99.99 कुछ ही हो सकता है.अब क्या हुआ? इस बारे में 24 मई को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने जानकारी देते हुए कहा कि एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स को छोड़कर बाकी सभी सीरीज के स्टॉक्स का टिक साइज अब 0.01 रुपए का होगा. अब तक यह 0.05 रुपए का था. ये ‘EQ’, ‘BE,’ ‘BZ’, ‘BO’, ‘RL’ और ‘AF’ स्टॉक सीरीज पर लागू होगा.
स्टॉक सीरीज क्या होता है? नेशनल स्टॉक एक्सचेंज देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है और इसका रोजाना वॉल्यूम बहुत बड़ा होता है. इस एक्सचेंज पर इक्विटी के अलावा प्रेफरेंशियल शेयर, डिबेंचर्स, सरकारी सिक्योरिटीज, इंडियन डिपॉजिटरी रीसीट्स (IDR) से लेकर क्लोज-एंडेड म्यूचुअल फंड्स और ETF भी ट्रेड होते हैं.
यही कारण है कि NSE ने इन्हें अलग-अलग सीरीज/कैटेगरी में बांटा है. जब कोई व्यक्ति NSE पर लिस्टेड किसी सिक्योरिटीज को ट्रेड करता है तो उन्हें पता चलता है कि वो आखिर क्या किस तरह की सिक्योरिटीज में ट्रेड कर रहे हैं.
NSE ने अपने नए सर्कुलर में कहा है कि T+1 सेटलमेंट कैटेगरी के स्टॉक्स के लिए तय टिक साइज को T+0 सेटलमेंट सीरीज के स्टॉक्स पर भी लागू होगा.
एक्सचेंज ने यह भी कहा है कि यह बदलाव 10 जून 2024 से लागू होंगे. 31 मई 2024 की क्लोजिंग भाव के आधार पर इन स्टॉक्स की टिक साइज तय हो सकेगी.
मासिक आधार पर टिक साइज का रिव्यू किया जाएगा. हर महीने के आखिरी ट्रेडिंग दिन की CM सेगमेंट में शामिल स्टॉक्स के क्लोजिंग भाव के आधार पर टिक साइज तय होगा.
इसे अगले महीने से ही लागू कर दिया जाएगा. सभी सिक्योरिटीज के लिए प्राइस बैंड का तरीक मौजूदा आधार पर ही लागू होगा.
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